प्रश्न: भारतीय संस्कृति और विरासत में मौर्य साम्राज्य के प्रमुख योगदानों पर प्रकाश डालिए।
Bring out the main contributions of the Mauryan Empire to Indian culture and heritage.
दृष्टिकोण: (i) मौर्य साम्राज्य पर संक्षिप्त भूमिका प्रस्तुत करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए। (ii) भारतीय विरासत और संस्कृति में मौर्य साम्राज्य के योगदान पर प्रकाश डालिए। (iii) तदनुसार निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए। |
परिचय:
322 से 185 ईसा पूर्व तक फलता-फूलता रहा मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल था। चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक महान जैसे शासकों के अधीन, इसने प्रशासन, कला, वास्तुकला और धार्मिक विचारों में उन्नति के माध्यम से भारतीय संस्कृति को महत्वपूर्ण रूप से आकार दिया और उपमहाद्वीप पर एक स्थायी विरासत छोड़ी। चौथी शताब्दी ई. पू. आते-आते, चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की मदद से नंद वंश को पराजित किया और मौर्य वंश का शासन स्थापित किया।
मौर्य साम्राज्य ने भारतीय विरासत और संस्कृति में असीम योगदान दिया है, जो निम्नलिखित हैं:
(i) भौतिक संस्कृति का प्रसारः मौर्य काल में गंगा के बेसिन में भौतिक संस्कृति का तेजी से विकास हुआ। इस काल में लोहे के उपयोग में वृद्धि हुई, व्यापक मात्रा में आहत सिक्कों का प्रयोग हुआ तथा सुंदर मृदभांडों का बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया जाता था। इन मृदभांडों को ‘उत्तरी काली पॉलिश वाले मृदभांड’ (NBPW) कहा जाता है। इसके अतिरिक्त, मौर्य काल के दौरान भारत में नगरों का उदय हो रहा था।
(ii) वास्तुकला में योगदानः
स्तंभ (Pillars): मौर्यकालीन स्तंभ शैलकृत स्तंभ हैं, जो नक्काशी करने वाले कारीगरों के कौशल को दर्शाते हैं। पूरे मौर्य साम्राज्य में ऐसे स्तंभों का निर्माण बौद्ध विचारधारा और दरबारी आदेशों के प्रसार हेतु कराया गया था। उदाहरण के लिए: स्तंभ शिलालेख संख्या। अशोक के लोगों की रक्षा के सिद्धांत से तथा स्तंभ शिलालेख संख्या IV राजुकों (अधिकारियों) के कर्तव्यों से संबंधित है।
स्तूप (Stupas): हालांकि, इस काल से पूर्व कई स्तूपों का निर्माण किया गया था लेकिन इस अवधि के दौरान कई नए स्तूप भी निर्मित किए गए थे। नए स्तूपों में प्रदक्षिणा पथ के अतिरिक्त प्रवेश द्वार जोड़े गए थे। इस प्रकार के आख्यानात्मक निरूपण धीरे-धीरे बौद्ध परंपरा का हिस्सा बन गए। बुद्ध के जीवन की घटनाओं व जातक कथाओं को स्तूपों की रेलिंग (Railings) और तोरणों पर चित्रित किया जाने लगा।
गुफाएं (Caves): मौर्य काल से भारत में शैल-कृत गुफा स्थापत्य के आरंभिक ज्ञात उदाहरण भी पाए गए हैं। इन गुफाओं में खूबसूरती से अलंकृत अग्रभाग, आयताकार गुफाओं में पीछे की ओर गोलाकार कक्ष और गुफाओं की अंदरूनी दीवार चिकनी बनाई गई है। उदाहरण के लिए: बिहार के गया जिले के निकट बराबर पहाड़ियों में लोमस ऋषि की गुफा।
शिलालेख (Inscriptions): शिलालेख अपनी शैली एवं विषयवस्तु में विशिष्ट हैं तथा वे अशोक के राजनीतिक विचारों और पद्धतियों पर जानकारी का एक समृद्ध स्रोत हैं। ये शिलालेख अशोक के प्रशासन के कुछ पहलुओं और बौद्ध धर्म के साथ उसके संबंधों पर प्रकाश डालते हैं।
(iii) कला में योगदानः
मूर्तिकला (Sculpture): स्थानीय मूर्तिकारों की रचनाएं मौर्य काल की लोकप्रिय कला को दर्शाती हैं। इस काल की मूर्तिकला के विशिष्ट तत्वों में चिकनी सतहें, गोलाकार चेहरे और बारीक शारीरिक विवरण शामिल हैं। उदाहरण के लिए: दीदारगंज से प्राप्त यक्षिणी की मानवाकार प्रतिमा।
मृदभांड (Pottery): मौर्य काल में कई प्रकार के मृदभांडों का प्रयोग किया जाता था। हालांकि, उनमें NBPW सर्वाधिक विकसित थे। ये मृदभांड पूर्ववर्ती और आरंभिक मौर्य काल की पहचान थे। इन्हें विशेष चमक वाली बारीक चिकनी जलोढ़ मृदा से बनाया जाता है।
(iv) धर्म में योगदानः मौर्यों के सहिष्णु दृष्टिकोण ने भारत में तीन विविध धर्मों अर्थात्, हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों को फलने-फूलने में सहायता प्रदान की। मौर्य साम्राज्य के अधीन जैन और बौद्ध धर्म फले-फूले, क्योंकि इन दोनों धर्मों को क्रमशः, चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक द्वारा शाही संरक्षण प्राप्त था। अशोक के अधीन, बौद्ध धर्म का व्यापक रूप से प्रचार हुआ था तथा इसका विस्तार श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में हुआ था।
निष्कर्ष:
मौर्य साम्राज्य के योगदान, अभिनव शासन और स्मारकीय वास्तुकला से लेकर बौद्ध धर्म के प्रसार तक, ने भारतीय संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया। अशोक द्वारा अहिंसा को बढ़ावा देने की विरासत और उस काल की कलात्मक उपलब्धियाँ आज भी गूंजती हैं, जो भारतीय विरासत और सभ्यता पर साम्राज्य के गहन प्रभाव को उजागर करती हैं। इस प्रकार, मौर्य साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति और विरासत में एक अविस्मरणीय योगदान दिया।