प्रश्न: भारतीय राज्यों में शराब की डोरस्टेप डिलीवरी की अनुमति देने के संभावित आर्थिक लाभों और सामाजिक लागतों का गंभीर विश्लेषण कीजिए। सरकारें राजस्व सृजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बीच संतुलन कैसे बना सकती हैं?
Critically analyze the potential economic benefits and societal costs of allowing doorstep delivery of alcohol in Indian states. How can governments balance revenue generation with public health concerns?
उत्तर: शराब की डोरस्टेप डिलीवरी वह प्रणाली है जिसमें उपभोक्ता कानूनी रूप से प्रमाणित प्लेटफॉर्म्स से ऑर्डर कर घर बैठे शराब प्राप्त करता है। यह नवाचार भारतीय आबकारी प्रणाली में सुधार की संभावना उत्पन्न करता है, किंतु इससे उत्पन्न आर्थिक अवसरों और सामाजिक जटिलताओं का संतुलित मूल्यांकन अत्यंत आवश्यक है।
शराब की डोरस्टेप डिलीवरी के संभावित आर्थिक लाभ
(1) कर राजस्व में वृद्धि: भारत में आबकारी कर राज्य सरकारों के लिए दूसरा सबसे बड़ा आंतरिक राजस्व स्रोत है। डोरस्टेप डिलीवरी से काले बाज़ार पर अंकुश लगेगा, बिक्री का औपचारीकरण होगा और राजस्व संग्रहण में पारदर्शिता व वृद्धि होगी, जिससे राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को मजबूती प्राप्त होगी।
(2) डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास: डोरस्टेप डिलीवरी के लिए डिजिटल लॉजिस्टिक्स, ऑर्डर ट्रैकिंग और पहचान सत्यापन जैसे तकनीकी माध्यमों का विकास होगा। इससे भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को बल मिलेगा और राज्य स्तर पर प्रशासनिक दक्षता व जवाबदेही में व्यापक सुधार उत्पन्न किया जा सकेगा।
(3) औपचारिक रोजगार के अवसर: ऑनलाइन शराब बिक्री से उत्पन्न मांग के फलस्वरूप डिलीवरी एजेंट्स, तकनीकी संचालन, ग्राहक सेवा और गोदाम प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में औपचारिक रोजगार सृजन होगा, जिससे शहरी युवाओं के लिए स्थायी आय के अवसर उपलब्ध होंगे और बेरोजगारी दर में आंशिक कमी आएगी।
(4) उपभोक्ता सुविधा एवं विकल्पों में वृद्धि: डोरस्टेप डिलीवरी से उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प, उत्पादों की तुलना और सुरक्षित खरीद की सुविधा मिलेगी। इससे उपभोक्ता व्यवहार अधिक नियंत्रित, विविधीकृत और मूल्य-संवेदनशील बनेगा, जो शराब उद्योग के व्यावसायिक मानकों में सुधार ला सकता है।
(5) पर्यटन एवं प्रीमियम ब्रांड्स को प्रोत्साहन: राज्य यदि विशेष आर्थिक क्षेत्रों, पर्यटन स्थलों और उच्च वर्गीय ग्राहकों हेतु डिलीवरी अनुमत करें तो इससे प्रीमियम ब्रांड्स की बिक्री बढ़ेगी, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जन, आतिथ्य उद्योग का सशक्तिकरण और स्थानीय व्यवसायों की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि संभव हो सकेगी।
शराब डिलीवरी से उत्पन्न संभावित सामाजिक लागतें
(1) व्यसन की सुलभता और बढ़ोत्तरी: डोरस्टेप डिलीवरी से शराब की उपलब्धता में अत्यधिक सहजता आ सकती है, जिससे विशेषतः युवाओं, नाबालिगों और निम्न आय वर्गों में व्यसन की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। यह सामाजिक विघटन, कार्यस्थल उत्पादकता में गिरावट और अपराध दर में वृद्धि का कारण बन सकता है।
(2) महिलाओं व बच्चों पर दुष्प्रभाव: घरेलू स्तर पर शराब की बढ़ी हुई पहुँच से घरेलू हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और पारिवारिक तनाव की आशंका बढ़ती है। भारत में महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा पहले से ही संवेदनशील है, अतः यह सुविधा सामाजिक ताने-बाने को और अधिक कमजोर कर सकती है।
(3) सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र पर बोझ: शराब सेवन से उत्पन्न रोगों जैसे लीवर सिरोसिस, हृदय रोग, मानसिक रोग आदि में वृद्धि होगी, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर अत्यधिक भार पड़ेगा। यह विशेषतः ग्रामीण एवं निम्न आय वाले राज्यों में संसाधनों की उपलब्धता और बजटीय प्राथमिकताओं को बाधित करेगा।
(4) सांस्कृतिक एवं धार्मिक टकराव: भारत में अनेक समुदाय शराब सेवन को सामाजिक व धार्मिक रूप से वर्जित मानते हैं। डोरस्टेप डिलीवरी जैसी नीति इन समुदायों में असंतोष उत्पन्न कर सकती है, जिससे सांस्कृतिक टकराव, राजनीतिक ध्रुवीकरण और नीति विरोध जैसी स्थितियाँ विकसित हो सकती हैं।
(5) अव्यवस्थित और अपारदर्शी वितरण प्रणाली: यदि वितरण तंत्र में प्रभावी सत्यापन, भूगोल आधारित प्रतिबंध और डिजिटल नियंत्रण लागू नहीं हुए तो अवैध बिक्री, फर्जी डिलीवरी और नाबालिगों को आपूर्ति जैसी समस्याएँ पैदा होंगी, जो नीतिगत उद्देश्यों को विफल करने के साथ-साथ सामाजिक जोखिम को और बढ़ाएंगी।
राजस्व और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन हेतु उपाय
(1) सीमित अनुमति और पहचान सत्यापन प्रणाली: डिलीवरी हेतु केवल प्रमाणित एप्स, आधार/डिजिटल सत्यापन, भौगोलिक प्रतिबंध और समय सीमाएं निर्धारित की जाएं। यह संतुलन सुनिश्चित करेगा कि सुविधा का लाभ केवल उत्तरदायी उपभोक्ताओं तक सीमित रहे और दुरुपयोग की संभावना न्यूनतम रहे।
(2) प्रगतिशील, राज्य-विशिष्ट आबकारी नीति: हर राज्य को सामाजिक स्वीकृति, उपभोग दर, महिला सुरक्षा और तकनीकी बुनियादी ढांचे के आधार पर डिलीवरी नीति बनानी चाहिए। इससे विविध सांस्कृतिक संदर्भों में नीति का स्थानीयकरण संभव होगा और सामाजिक तनाव से बचाव सुनिश्चित किया जा सकेगा।
(3) कर राजस्व का लक्षित पुनर्निवेश: शराब से अर्जित कर राजस्व का एक निश्चित अंश स्वास्थ्य सेवाओं, नशा मुक्ति कार्यक्रमों, महिला पुनर्वास एवं शिक्षा में अनिवार्य रूप से निवेश किया जाए, जिससे सामाजिक असंतुलन को आर्थिक संतुलन द्वारा व्यवस्थित रूप से सुधारा जा सके।
(4) जनजागरूकता और व्यवहार परिवर्तन संचार: सरकार को नशे की लत से होने वाले जोखिमों, सामाजिक हानियों और उत्तरदायी उपभोग के महत्व पर आधारित व्यापक संचार अभियान चलाना चाहिए। यह समाज को आत्मनियंत्रण हेतु प्रेरित करेगा और नीति को नैतिक वैधता प्रदान करेगा।
(5) डेटा निगरानी और उत्तरदायी नीति निर्माण: डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स से एकत्रित उपभोग डेटा के विश्लेषण से सरकार उपभोग प्रवृत्तियों, संकट क्षेत्रों और जोखिम समूहों की पहचान कर सकती है, जिससे नीति निर्माण अधिक वैज्ञानिक, गतिशील और उत्तरदायी बन सकेगा तथा समयानुकूल हस्तक्षेप संभव होगा।
भारतीय राज्यों में शराब की डोरस्टेप डिलीवरी एक जटिल किन्तु संभावनाशील नीतिगत क्षेत्र है। जहां यह आर्थिक समृद्धि, प्रशासनिक पारदर्शिता और उपभोक्ता सुविधा को प्रोत्साहित करती है, वहीं इससे उत्पन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों के प्रति अत्यंत सजग, उत्तरदायी और बहुस्तरीय नीति संतुलन अनिवार्य है।