प्रश्न: एआई प्रौद्योगिकियों के विकास और तैनाती से जुड़ी पर्यावरणीय चिंताओं का विश्लेषण कीजिए। एआई डेटा केंद्रों के कार्बन फ़ुटप्रिंट को कम करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
Analyze the environmental concerns associated with the development and deployment of AI technologies. What measures can be taken to mitigate the carbon footprint of AI data centers?
उत्तर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रौद्योगिकियाँ विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति का वादा करती हैं, लेकिन इनके बढ़ते उपयोग से जुड़े पर्यावरणीय संकट, जैसे- ऊर्जा खपत, जल उपयोग और कचरे की समस्या भी उत्पन्न होती है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रौद्योगिकियों का विकास एवं नियंत्रण उच्च ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन से जुड़ा है। भारत में डेटा केंद्रों की मांग बढ़ने से पर्यावरणीय दबाव बढ़ा है, जिससे सतत विकास के लिए ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय स्रोतों की आवश्यकता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से जुड़ी पर्यावरणीय चिंताएं
(1) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: 2023 में गूगल ने अपने डेटा केंद्रों से संबंधित उत्सर्जन पदचिह्न में 13% वृद्धि की सूचना दी। अधिकांश डेटा केंद्रों को संचालित करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जाता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता है।
(2) जीवनचक्र उत्सर्जन: एआई हार्डवेयर के उत्पादन, रखरखाव और निपटान से जुड़ी गतिविधियाँ समग्र कार्बन पदचिह्न में योगदान करती हैं। इसके विनिर्माण प्रक्रिया में ऊर्जा की भारी खपत होती है, जो पर्यावरणीय दबाव को बढ़ाता है।
(3) संसाधनों का ह्रास: एआई हार्डवेयर में इस्तेमाल होने वाले चिप्स और अन्य उपकरणों के निर्माण में दुर्लभ पृथ्वी धातुओं का निष्कर्षण होता है, जो पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अत्यधिक हानिकारक है और संसाधनों की कमी को बढ़ाता है।
(4) ई-कचरा: एआई तकनीकों के तेजी से विकास से हार्डवेयर जल्दी अप्रचलित हो जाते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनिक कचरे की समस्या बढ़ती है। 2023 में, वैश्विक ई-कचरा 59.2 मिलियन टन तक पहुँच गया, जिसमें एआई उपकरणों का योगदान महत्वपूर्ण है।
(5) पानी का उपयोग: डेटा केंद्रों में शीतलन के लिए अत्यधिक पानी का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, OpenAI के GPT-4 के डेटा केंद्र ने 2022 में आयोवा जिले की 6% पानी की आपूर्ति का उपयोग किया, जिससे जल संसाधनों पर दबाव पड़ा।
एआई डेटा केंद्रों के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के उपाय
(1) हार्डवेयर अनुकूलन: एआई हार्डवेयर को अधिक ऊर्जा-कुशल बनाने के लिए नई चिप्स और प्रोसेसर का विकास किया जा रहा है। उन्नत प्रोसेसर जैसे कि NVIDIA H100 चिप्स, ऊर्जा खपत को कम करने में सहायक हैं।
(2) शीतलन प्रणालियाँ: जल की खपत को कम करने के लिए तरल इमर्शन शीतलन तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। इससे डेटा केंद्रों के शीतलन के लिए आवश्यक जल की मात्रा में 30% तक की कमी आई है।
(3) पावर प्रबंधन: बुद्धिमान पावर प्रबंधन प्रणालियाँ डेटा केंद्रों में बिजली के उपयोग को अनुकूलित करती हैं। उदाहरण के लिए, AWS के क्लाउड डेटा केंद्रों में पावर मैनेजमेंट में सुधार से 15% तक ऊर्जा बचत हो रही है।
(4) हरित ऊर्जा स्रोत: डेटा केंद्रों को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर और पवन ऊर्जा से संचालित करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे कंपनियाँ 100% हरित ऊर्जा का उपयोग करने का लक्ष्य रखती हैं।
(5) ऑन-साइट उत्पादन: ऑन-साइट नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों का निर्माण डेटा केंद्रों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, अमेज़न ने अपने डेटा केंद्रों में सौर पैनल लगाने का कार्य शुरू किया है।
इन उपायों को लागू करने से एआई डेटा केंद्रों के कार्बन पदचिह्न को कम किया जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकेगा। साथ ही, एआई के विकास से जुड़े हरित उपायों को बढ़ावा देना आवश्यक है।