प्रश्न: पुरालेखीय स्रोतों में राजनीतिक इतिहास की अपेक्षा कला और संस्कृति कहीं अधिक सीमा तक प्रतिबिम्बित हैं। टिप्पणी कीजिए।
Art and culture are reflected to a far greater extent than political history in the epigraphic sources. Comment. [UPSC CSE 2017]
उत्तर: पुरालेखीय स्रोतों का अध्ययन इतिहासकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि इनसे हमें केवल राजनीतिक घटनाओं की जानकारी नहीं मिलती, बल्कि कला, संस्कृति और समाज के विविध पहलुओं को भी समझने का अवसर मिलता है।
(i) प्राचीन शिलालेखों, मूर्तियों और चित्रकला के उदाहरण हमें उस काल के सांस्कृतिक, धार्मिक और कलात्मक विकास की जानकारी प्रदान करते हैं। इनसे यह स्पष्ट होता है कि समय के साथ कला और संस्कृति किस प्रकार परिष्कृत होती गई।
(ii) भारत में विभिन्न कालों के शिलालेखों से हमें शासकों की कला-प्रेमी प्रवृत्तियों का पता चलता है। गुप्त काल और मौर्य काल के शिलालेखों में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की झलक मिलती है, जो उस समय के समाज की सोच को दर्शाती है।
(iii) मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेखों में बौद्ध धर्म का प्रसार और धार्मिक सहिष्णुता के सिद्धांत स्पष्ट रूप से दिखाए गए हैं। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि कला और संस्कृति के माध्यम से धार्मिक विचारों का प्रसार कैसे हुआ।
(iv) पुरालेखीय स्रोत केवल शासकों के आदेशों का अभिलेख नहीं होते, बल्कि ये उस समय के समाज, संस्कृति और जीवनशैली के भी महत्वपूर्ण संकेतक होते हैं। शिलालेखों में समाज की धार्मिक विश्वास, आदर्श और सांस्कृतिक रुझान प्रकट होते हैं।
(v) राजनीतिक इतिहास के मुकाबले कला और संस्कृति के पुरालेखीय स्रोत अधिक विस्तृत होते हैं। इनसे हमें समाज की मानसिकता, उसकी कलात्मक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का गहन ज्ञान प्राप्त होता है, जो केवल राजनैतिक घटनाओं से नहीं समझा जा सकता।
(vi) शिलालेख, मूर्तियाँ, चित्रकला और अन्य सांस्कृतिक धरोहरों से हम उस समय की सामाजिक संरचना और धार्मिक विश्वासों को समझ सकते हैं। ये सामग्री समाज के विचार, आदर्शों और सांस्कृतिक प्रगति को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
(vii) पुरालेखीय स्रोतों में कला और संस्कृति के पहलुओं का अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि किस प्रकार शासक और समाज कला, साहित्य और धर्म को प्रोत्साहित करते थे। यह हमें उनके विचारों और जीवनशैली की झलक प्रदान करता है।
(viii) पुरालेखीय स्रोतों से मिली कला और संस्कृति की जानकारी हमें उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है। इनसे समाज की मानसिकता और विश्वासों को समझने में मदद मिलती है।
निष्कर्षतः, पुरालेखीय स्रोतों का अध्ययन केवल राजनीतिक घटनाओं के संदर्भ में ही नहीं, बल्कि कला और संस्कृति के संदर्भ में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इनसे हम समाज की सांस्कृतिक धरोहर और जीवनशैली के बारे में गहन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।