प्रश्न: “जलवायु परिवर्तन ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा को काफी प्रभावित किया है। इससे निपटने के लिए जलवायु अनुकूल खाद्य प्रणालियां विकसित करने की आवश्यकता है।” उपरोक्त कथन के संदर्भ में खाद्य प्रणालियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए एवं जलवायु अनुकूल खाद्य प्रणालियों के विकास के लिए आवश्यक उपायों की चर्चा कीजिए।
“Climate change has significantly affected global food security. To deal with this, there is a need to develop climate-friendly food systems.” In the context of the above statement, evaluate the effects of climate change on food systems and discuss the measures required for the development of climate-friendly food systems.
उत्तर: जलवायु परिवर्तन से कृषि और खाद्य प्रणालियों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, जिससे भारत की खाद्य सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ है। अनियमित वर्षा, बढ़ते तापमान और चरम मौसम की घटनाएँ फसल उत्पादन को प्रभावित कर रही हैं। इससे किसानों की आय अस्थिर होती है और खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बाधित होती है। जलवायु अनुकूलन रणनीति अपनाना आवश्यक है, ताकि सतत कृषि संभव हो और खाद्य आपूर्ति बनी रहे।
जलवायु परिवर्तन के खाद्य प्रणालियों पर प्रभाव
(1) कृषि उत्पादन में गिरावट: भारत में तापमान वृद्धि और अनियमित वर्षा से कृषि उत्पादन प्रभावित हो रहा है। प्रमुख खाद्य फसलें, जैसे गेहूँ और धान, जलवायु परिवर्तन से नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई हैं। मिट्टी की नमी घटने से उपज कम हो रही है, जिससे किसानों की आय अस्थिर हुई है।
(2) पानी की उपलब्धता पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण सिंचाई जल की उपलब्धता घट रही है। मानसून की अनिश्चितता से भूजल स्तर प्रभावित हो रहा है, जिससे कृषि क्षेत्र में पानी की कमी बढ़ गई है। जल प्रबंधन तकनीकों का अभाव इस समस्या को और गंभीर बना रहा है।
(3) मृदा की गुणवत्ता में गिरावट: बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा के कारण मृदा की उर्वरता कम हो रही है। अत्यधिक बारिश से मृदा अपक्षय होता है, जिससे आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। सूखे की स्थिति में मिट्टी कठोर हो जाती है, जिससे फसल की जड़ें पर्याप्त पोषण नहीं ले पातीं।
(4) खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि: उत्पादन में कमी और आपूर्ति बाधित होने के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं। गरीब और मध्यम वर्ग के लोग बढ़ती कीमतों से प्रभावित हो रहे हैं। इससे कुपोषण और खाद्य असुरक्षा की समस्याएँ बढ़ रही हैं, जिससे समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
(5) कृषि क्षेत्र में रोजगार संकट: जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर घट रहे हैं। फसल उत्पादन में कमी से किसान और कृषि मजदूर बेरोजगार हो रहे हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है और आजीविका के लिए वैकल्पिक साधनों की आवश्यकता बढ़ गई है।
जलवायु अनुकूल खाद्य प्रणालियों के लिए आवश्यक उपाय
(1) जलवायु अनुकूल फसलें अपनाना: जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए सूखा-सहनशील और अधिक तापमान में वृद्धि करने वाली फसलों की खेती को बढ़ावा देना आवश्यक है। आनुवंशिक रूप से विकसित बीज किसानों को बदलते पर्यावरणीय परिस्थितियों में सहायता कर सकते हैं।
(2) सतत कृषि पद्धतियों का उपयोग: जैविक खेती, फसल चक्र और मिश्रित फसल प्रणाली जैसी तकनीकों को अपनाने से कृषि क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से बच सकता है। पारंपरिक और आधुनिक कृषि तकनीकों का संयोजन खाद्य सुरक्षा को मजबूत बना सकता है।
(3) सिंचाई प्रणालियों का सुधार: ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई और वर्षा जल संचयन जैसी तकनीकों से जल की समस्या को हल किया जा सकता है। कुशल जल प्रबंधन अपनाने से किसानों को कम जल उपलब्धता के बावजूद उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
(4) नवाचार और कृषि अनुसंधान: वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देकर जलवायु सहनशील बीज और नई कृषि तकनीकों को विकसित किया जाना चाहिए। उन्नत कृषि उपकरणों और डिजिटल तकनीकों का उपयोग कृषि क्षेत्र को अधिक कुशल बना सकता है।
(5) नीतिगत सुधार और समर्थन: सरकार को किसानों को वित्तीय सहायता, सब्सिडी और बीमा योजनाएँ प्रदान करनी चाहिए। जलवायु अनुकूलन योजनाओं को लागू करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है, ताकि किसान जागरूक हो सकें।
भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य सुरक्षा को गंभीर चुनौती मिली है। गरीब और कमजोर वर्ग पर इसका अधिक प्रभाव पड़ा है। जलवायु अनुकूल कृषि प्रणालियों को अपनाने, टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने और सरकारी नीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है। दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जलवायु अनुकूलन को नीति निर्माण का प्रमुख हिस्सा बनाना आवश्यक है।