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प्रश्न: भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास पर केंद्रीय बजट के प्रभाव का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। बजट बुनियादी अनुसंधान और नवाचार की चुनौतियों को कैसे संबोधित करता है?

Critically evaluate the impact of the Union Budget on scientific research and development in India. How does the budget address the challenges of basic research and innovation?

उत्तर: वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास (R&D) किसी भी देश की नवाचार क्षमता, औद्योगिक उन्नति और आर्थिक वृद्धि का मूल आधार होता है। भारत में R&D को केंद्रीय बजट के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे देश की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है। उच्च स्तरीय अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए नीति सुधार और वित्तीय सहायता आवश्यक हैं।

केंद्रीय बजट का वैज्ञानिक अनुसंधान पर प्रभाव:

(1) वित्त पोषण में वृद्धि: सरकार अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों को अधिक अनुदान प्रदान कर रही है, जिससे वैज्ञानिक परियोजनाएं मजबूत होती हैं। उच्च स्तरीय अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों जैसे जैव प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अंतरिक्ष अनुसंधान में निवेश किया जा रहा है। इससे भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनता है।

(2) नई शोध योजनाएं: केंद्रीय बजट में मिशन-आधारित अनुसंधान योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिनमें क्वांटम टेक्नोलॉजी, डिजिटल इनोवेशन और हरित ऊर्जा अनुसंधान शामिल हैं। इन योजनाओं से भारत में तकनीकी नवाचार को गति मिलती है। सरकार दीर्घकालिक अनुसंधान परियोजनाओं को भी समर्थन दे रही है, जिससे वैज्ञानिक आधार मजबूत हो।

(3) सार्वजनिक-निजी भागीदारी: वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में निजी और सार्वजनिक संस्थानों के सहयोग को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। अनुसंधान में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कर लाभ और अनुदान प्रदान किए जाते हैं। इससे आधुनिक तकनीकों पर अधिक प्रभावी अनुसंधान किया जा सकता है, जिससे नवाचार तेज़ी से बढ़ता है।

(4) नवाचार और स्टार्टअप्स: स्टार्टअप्स और छोटे अनुसंधान संस्थानों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट में विशेष वित्तीय प्रावधान किए गए हैं। सरकार अनुसंधान आधारित स्टार्टअप्स को अनुदान और प्रोत्साहन दे रही है, जिससे नए विचारों और तकनीकों का विकास संभव हो रहा है। इससे भारत वैश्विक स्तर पर तकनीकी नवाचार का केंद्र बन सकता है।

(5) अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत वैज्ञानिक अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों से सहयोग बढ़ा रहा है। सरकार ने उच्च स्तरीय अनुसंधान परियोजनाओं में विदेशों के साथ साझेदारी करने के लिए बजट आवंटित किया है। इससे वैज्ञानिकों को वैश्विक स्तर पर अनुसंधान करने का अवसर मिलता है।

बजट के माध्यम से बुनियादी अनुसंधान की चुनौतियों का समाधान: 

(1) अपर्याप्त वित्त पोषण: भारत में बुनियादी अनुसंधान के लिए निधि सीमित रही है, जिससे दीर्घकालिक अनुसंधान परियोजनाएं प्रभावित होती हैं। हाल के बजट में इस समस्या को दूर करने के लिए अनुसंधान निधि में वृद्धि की गई है, जिससे उच्चस्तरीय प्रयोगशालाओं और वैज्ञानिक परियोजनाओं को वित्तीय सहायता मिल सके।

(2) संस्थागत बुनियादी ढाँचे का विकास: अनुसंधान सुविधाओं की कमी वैज्ञानिक नवाचार को बाधित करती है। बजट में उच्च तकनीकी प्रयोगशालाओं और अनुसंधान केंद्रों के विस्तार के लिए निधि आवंटित की गई है। इससे वैज्ञानिकों को आधुनिक उपकरण और संसाधन उपलब्ध होंगे, जिससे अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार होगा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत आगे बढ़ेगा।

(3) अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा: वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रभावी बनाने के लिए बजट में युवा शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन देने की योजना शामिल की गई है। सरकार अनुसंधान अनुदान और छात्रवृत्ति देकर प्रतिभाओं को बढ़ावा दे रही है, जिससे अधिक लोग अनुसंधान में करियर बनाने के लिए प्रेरित होंगे और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

(4) मानव संसाधन विकास: STEM शिक्षा को मजबूत करने और वैज्ञानिक अनुसंधान को सशक्त करने के लिए बजट में नए कार्यक्रमों की घोषणा की गई है। इससे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को नई तकनीकों में प्रशिक्षण मिलेगा। सरकार अनुसंधान आधारित शिक्षा को बढ़ावा देकर वैज्ञानिक नवाचार को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे अनुसंधान क्षेत्र को कुशल मानव संसाधन प्राप्त होगा।

(5) नीतिगत सुधार: अनुसंधान प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए सरकार नीतिगत सुधार कर रही है। बजट में वैज्ञानिक अनुसंधान के नियमन को सरल और सुगम बनाने पर जोर दिया गया है। इससे अनुसंधानकर्ताओं को आवश्यक संसाधन प्राप्त करने की प्रक्रिया सुगम होगी और भारत नवाचार की दृष्टि से वैश्विक अग्रणी बन सकेगा।

भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार को केंद्रीय बजट के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। पर्याप्त निवेश, अनुसंधान सुविधाओं में सुधार और निजी-सार्वजनिक भागीदारी से इस क्षेत्र को गति मिल रही है। चुनौतियों को दूर करने के लिए प्रभावी नीतिगत सुधार आवश्यक हैं, जिससे भारत वैश्विक अनुसंधान में अग्रणी बन सके।

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