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प्रश्न: विभिन्न सरकारी पहलों के बावजूद, भारत में शिक्षा में लैंगिक असमानता महत्वपूर्ण बनी हुई है। सार्वभौमिक शिक्षा प्राप्त करने में चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए और इन मुद्दों के समाधान के लिए उपाय सुझाइए।

Despite various government initiatives, the gender gap in education in India remains significant. Analyze the challenges in achieving universal education and suggest measures to address these issues.

उत्तर: भारत में शिक्षा में लैंगिक असमानता का तात्पर्य लड़कियों और लड़कों के बीच शिक्षा तक पहुंच, संसाधनों और अवसरों में व्यवस्थित अंतर से है, जो सामाजिक मान्यताओं, आर्थिक बाधाओं और संस्थागत कमियों के कारण उत्पन्न होता है।

लैंगिक असमानता को बनाए रखने वाली प्रमुख चुनौतियाँ

(1) माध्यमिक स्तर पर लड़कियों की उच्च ड्रॉपआउट दर: 2023 में तमिलनाडु में माध्यमिक स्तर पर लड़कियों का नामांकन 57% था, जबकि प्राथमिक स्तर पर यह 90% से अधिक था, जो माध्यमिक स्तर पर 33% की गिरावट दर्शाता है।

(2) घरेलू कार्यभार और बाल विवाह के कारण शिक्षा से वंचित: NFHS-5 के अनुसार, 13% लड़कियों ने घरेलू कार्यों के कारण और 7% ने बाल विवाह के कारण स्कूल छोड़ दिया, जबकि लड़कों में ये आंकड़े क्रमशः 10% और 0.3% थे।

(3) विद्यालयों में अधोसंरचनात्मक असमानता: UDISE+ 2023-24 के अनुसार, केवल 59.5% सरकारी स्कूलों में कार्यशील बालिका शौचालय उपलब्ध हैं, जिससे किशोरियों की मासिक धर्म अवधि में उपस्थिति प्रभावित होती है।

(4) डिजिटल संसाधनों की सीमित पहुंच: ASER 2023 रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 62.2% लड़कियों के पास स्मार्टफोन की पहुंच है, जबकि लड़कों में यह आंकड़ा 70.2% है, जिससे डिजिटल शिक्षा में असमानता बढ़ती है।

(5) महिला शिक्षकों की अपर्याप्त उपस्थिति: UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत में महिला शिक्षकों की संख्या कम है, जिससे बालिकाओं को आवश्यक मार्गदर्शन और सुरक्षा की कमी होती है।

लैंगिक समानता हेतु नीति और संस्थागत उपाय

(1) लैंगिक समावेशन निधि (GEF) का सीमित क्रियान्वयन: NEP 2020 के अंतर्गत GEF हेतु 2023-24 में ₹1100 करोड़ आवंटित किए गए थे, किन्तु उपयोग मात्र ₹620 करोड़ ही हुआ, जिससे लक्षित लाभ नहीं मिल सका।

(2) डिजिटल समावेशन योजनाओं की धीमी प्रगति: ‘PM e-Vidya’ योजना के अंतर्गत 2024 तक 1 करोड़ टैबलेट वितरण का लक्ष्य था, परंतु मार्च 2024 तक केवल 23.6 लाख टैबलेट वितरित हुए, जो कुल लक्ष्य का 23.6% है।

(3) स्कूल सुरक्षा ढांचे का असमान विकास: भारत में पुलिस व्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 87% लोगों ने स्कूलों में कार्यशील CCTV कैमरों की आवश्यकता जताई, जिससे बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

(4) किशोरियों हेतु पोषण और स्वास्थ्य योजनाओं की सीमित पहुंच: राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (2023-24) में लक्षित किशोरियों का केवल 54% ही आयरन सप्लीमेंट प्राप्त कर सका, जिससे कुपोषण और थकान के कारण उनकी उपस्थिति घटी।

(5) सामुदायिक परामर्श और जागरूकता का अभाव: 2023 में केवल 18 राज्यों में बालिका शिक्षा हेतु परामर्श केंद्रों की स्थापना हुई जबकि शेष राज्यों में सामाजिक सहभागिता की नीति कार्यान्वयन से वंचित रही।

भारत में शिक्षा में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत सुधार, संसाधनों का समुचित वितरण और सामाजिक जागरूकता आवश्यक है। जब तक यह बहुस्तरीय दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाएगा, सार्वभौमिक शिक्षा अधूरी ही रहेगी।

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