प्रश्न: अवैध कोयला खदानों में सुरक्षा नियमों को लागू करने में राज्य सरकारों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। इसके साथ ही, भारत में अवैध कोयला खनन के प्रसार में योगदान देने वाले आर्थिक और सामाजिक कारकों का भी विश्लेषण कीजिए।
Discuss the challenges faced by state governments in enforcing safety regulations in illegal coal mines. Also, analyze the economic and social factors contributing to the prevalence of illegal coal mining in India.
उत्तर: अवैध कोयला खनन वह प्रक्रिया है, जिसमें बिना कानूनी अनुमति के खनन कार्य किए जाते हैं, जिनमें सुरक्षा मानकों का उल्लंघन, पर्यावरणीय क्षति और श्रमिक अधिकारों का हनन होता है। यह भारत में गंभीर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न करता है।
राज्य सरकारों को सुरक्षा नियम लागू करने में प्रमुख चुनौतियाँ
(1) संसाधनों की कमी: राज्य सरकारों के पास अवैध खनन पर निगरानी रखने के लिए पर्याप्त संसाधन और कर्मचारियों की कमी होती है, जिससे सुरक्षा उपायों का प्रभावी कार्यान्वयन मुश्किल हो जाता है। नतीजतन, अवैध खनन की बढ़ती घटनाएँ होती हैं।
(2) स्थानीय राजनीतिक हस्तक्षेप: अवैध खनन से जुड़े लोग अक्सर स्थानीय नेताओं और राजनीतिक व्यक्तियों के संरक्षण में होते हैं, जो इन गतिविधियों को रोकने के लिए अधिकारियों पर दबाव डालते हैं, जिससे सुरक्षा नियमों को लागू करना कठिन हो जाता है।
(3) अपर्याप्त कानूनी कार्रवाई: भारत में अवैध खनन के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया धीमी और जटिल है, जिसके कारण इन गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ समय पर कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती। इससे अवैध खनन को बढ़ावा मिलता है।
(4) अधिकारों की उपेक्षा: अवैध खनन करने वाले कई श्रमिकों के पास अपनी सुरक्षा के बारे में जागरूकता नहीं होती है, और उनका शोषण किया जाता है। राज्य सरकारें इन श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहती हैं, जिससे दुर्घटनाएँ होती हैं।
(5) प्रभावी निगरानी का अभाव: अवैध खनन क्षेत्रों में निगरानी उपकरणों का अभाव होता है, जिससे सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है। अधिकारियों को इन क्षेत्रों में नियमित निरीक्षण के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।
अवैध कोयला खनन के प्रसार में योगदान देने वाले आर्थिक और सामाजिक कारक
(1) गरीबी और बेरोजगारी: भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी उच्च स्तर पर हैं, जिससे लोग अवैध खनन में अपनी आजीविका का एक साधन देखते हैं। यह सामाजिक असमानता को बढ़ाता है और अवैध खनन को प्रोत्साहित करता है।
(2) कोयला की भारी मांग: भारत में बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के कारण कोयले की मांग में वृद्धि हो रही है। उद्योगों को सस्ता और जल्दी उपलब्ध कोयला चाहिए, जिससे अवैध खनन को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि यह कानूनी खनन से सस्ता होता है।
(3) कानूनी उपायों का अभाव: अवैध खनन के खिलाफ कड़े कानून और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की कमी होती है, जिससे यह समस्या सुलझने की बजाय और गंभीर बन जाती है। यह कमी खनन क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों को बढ़ाती है।
(4) श्रम की सस्ती लागत: अवैध खनन में श्रमिकों को कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। इससे खनन कंपनियों के लिए सस्ता श्रम उपलब्ध होता है, जिससे अवैध खनन को बढ़ावा मिलता है और श्रमिकों का शोषण होता है।
(5) स्थानीय प्रशासन का भ्रष्टाचार: स्थानीय प्रशासन में भ्रष्टाचार के कारण अवैध खनन पर नियंत्रण नहीं हो पाता। यह भ्रष्टाचार खनन माफियाओं को संरक्षण देता है और उन्हें कानूनी कार्रवाई से बचने का रास्ता देता है।
अवैध कोयला खनन को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन और समुचित कानूनी प्रबंधन आवश्यक है। इसके लिए प्रशासनिक सुधार, जागरूकता और पर्यावरणीय संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।