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प्रश्न: क्या आप इस मत से सहमत हैं कि पुरातात्त्विक साक्ष्य प्रायः साहित्यिक स्रोतों को बेहतर समझने में सहायता करते हैं? टिप्पणी कीजिए।

Do you agree that archaeological evidence often helps in the better understanding of literary sources? Comment.

उत्तर: पुरातात्त्विक साक्ष्य और साहित्यिक स्रोत दोनों इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह दोनों एक-दूसरे को पूरक रूप में कार्य करते हैं, जिससे हम प्राचीन समाज और उसकी संस्कृति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

(i) साहित्यिक स्रोत, जैसे- धार्मिक ग्रंथ, काव्य रचनाएँ और ऐतिहासिक लेखन, हमें उस समय के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को दर्शाते हैं। हालांकि, इन स्रोतों में अक्सर आदर्शवाद और पूर्वाग्रह हो सकते हैं।

(ii) यहां पर पुरातात्त्विक साक्ष्य की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उत्खनन एवं उनका अन्वेषण, शिलालेख, मुद्राएँ और अन्य भौतिक अवशेष, हमें उस समय की वास्तविक स्थितियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं, जो साहित्यिक स्रोतों में हमेशा स्पष्ट नहीं होती।

(iii) उदाहरण के लिए, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से मिली वस्तुएं उस समय के व्यापार, कृषि और जीवनशैली को स्पष्ट करती हैं, जो साहित्यिक स्रोतों में लुप्त हो सकती हैं। इस तरह, पुरातात्त्विक साक्ष्य साहित्यिक स्रोतों को समझने में सहायक होते हैं।

(iv) साहित्यिक स्रोतों में कभी-कभी घटनाएँ और परिस्थितियाँ आदर्श रूप से प्रस्तुत की जाती हैं, जैसे- महाभारत या रामायण में। इन ग्रंथों में संघर्ष, नायकत्व और धर्म का चित्रण बहुत विशद होता है, लेकिन इसकी सत्यता की पुष्टि पुरातात्त्विक साक्ष्य से की जा सकती है।

(v) पुरातात्त्विक साक्ष्य समाज के अन्य पहलुओं को भी उजागर करते हैं, जैसे- व्यापार, कला, धर्म और सांस्कृतिक गतिविधियाँ। ये विवरण साहित्यिक स्रोतों में नहीं मिलते, और इस प्रकार ये दोनों स्रोत एक-दूसरे की कमी को पूरा करते हैं।

(vi) शिलालेखों और मुद्राओं से प्राप्त जानकारी भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। ये साक्ष्य राजाओं, उनके साम्राज्य और उनके शासन की नीतियों को दर्शाते हैं, जो साहित्यिक स्रोतों द्वारा उल्लिखित होते हैं। यह दोनों स्रोत इतिहास को अधिक सटीक बनाते हैं।

(vii) साहित्यिक स्रोतों में अक्सर धार्मिक दृष्टिकोण होते हैं, जो एक समाज के धर्म, आस्था और विश्वासों का प्रतिक होते हैं। पुरातात्त्विक साक्ष्य इन विश्वासों और धर्मों के वास्तविक प्रभावों और उनके समाज पर असर को प्रमाणित करते हैं।

(viii) कभी-कभी, पुरातात्त्विक साक्ष्य और साहित्यिक स्रोतों में मतभेद भी हो सकते हैं। यह विरोधाभास शोधकर्ताओं के लिए एक चुनौती हो सकती है, लेकिन यह दोनों मिलकर ऐतिहासिक घटनाओं का और स्पष्ट चित्र प्रस्तुत करते हैं।

निष्कर्षतः, पुरातात्त्विक साक्ष्य साहित्यिक स्रोतों को बेहतर समझने में सहायक होते हैं। दोनों का मिला-जुला अध्ययन हमें प्राचीन इतिहास के बारे में गहन और सटीक जानकारी प्रदान करता है। इन दोनों स्रोतों का संयोजन इतिहास को और अधिक वास्तविक और यथार्थपूर्ण बनाता है।

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