प्रश्न: जिन तरीकों से सिंधु घाटी सभ्यता की कला एवं स्थापत्य कला ने यहां के लोगों के दैनिक जीवन पर प्रकाश डाला है, उन्हें सूचीबद्ध दीजिए।
Que. Enumerate the ways in which the art and architecture of the Indus Valley Civilization shed light on the daily lives of its people.
दृष्टिकोण: (i) सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर आरंभ कीजिए। (ii) उत्खनित कलाकृतियों एवं स्थापत्य कला की सहायता से लोगों के दैनिक जीवन पर एक संक्षिप्त विवरण प्रदान कीजिए। (iii) संक्षिप्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए। |
परिचय:
सिंधु घाटी सभ्यता की कला और वास्तुकला, जो 3300 से 1300 ईसा पूर्व तक फैली हुई है, दैनिक जीवन के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती है। शहरी नियोजन, जटिल मुहरों और विविध कलाकृतियों के माध्यम से, ये अवशेष प्राचीन भारत के सबसे उन्नत समाजों में से एक में सामाजिक संगठन, आर्थिक गतिविधियों, धार्मिक प्रथाओं और घरेलू जीवन के पहलुओं को प्रकट करते हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता सर्वाधिक प्राचीन एवं उन्नत सभ्यताओं में से एक है। यद्यपि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के जीवन, भाषा और संस्कृति के बारे में बहुत कुछ रहस्य बना हुआ है, लेकिन फिर भी इसकी कला एवं स्थापत्य कला अपने लोगों के दैनिक जीवन में निम्नलिखित तरीकों से जानकारी प्रदान करती है।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की कला एवं स्थापत्य कला से संबंधित दैनिक जीवन की सामग्रियां:
(i) वस्त्रः आकृतियों और मूर्तियों में लोग विभिन्न प्रकार के वस्त्र पहने हुए दर्शाए गए हैं।
उदाहरण के लिए: एक दाढ़ी वाले पुरुष की एक आवक्ष मूर्ति जो सेलखड़ी से बनी हुई है, उस दाढ़ी वाले पुरुष को एक धार्मिक व्यक्ति माना जाता है। इस आवक्ष मूर्ति को शॉल ओढ़े हुए दिखाया गया है। शॉल बाएं कंधे के ऊपर से और दाहिनी भुजा के नीचे से डाली गई है।
(ii) आभूषणः चन्हूदड़ो और लोथल में पाई गई कार्यशालाओं से पता चलता है कि इन जगहों में मनके बनाने का उद्योग काफी अधिक विकसित था। मनके तश्तरीनुमा, बेलनाकार, गोल या ढोलकाकार होते थे, लेकिन कुछ मनके कई खंडों में विभाजित भी होते थे। इससे यह संकेत मिलता है कि लोग आभूषण पहनते थे।
(iii) जानवरों की मूर्तियां: लोथल में पाया गया है कि तांबे का कुत्ता और पक्षी के साथ कांसे की बनी हुई जानवरों की मूर्तियों में भैंस एवं बकरी की मूर्तियां विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। भैंस का सिर और उसकी कमर ऊंची उठी हुई है तथा सींग फैले हुए हैं। यह उस परिवेश के बारे में एक विचार प्रदान करता है, जिसमें लोग रहते थे।
(iv) धार्मिक व्यवस्था में अंतर्दृष्टिः कुछ दाढ़ी-मूछ वाले पुरुषों की मूर्तियों में ऐसे पुरुषों की भी छोटी-छोटी मूर्तियां पाई गई हैं, जिनके बाल गुंथे हुए (कुंडलित) थे, जो एकदम सीधे खड़े हुए हैं और उनकी टांगें थोड़ी चौड़ी हैं। ठीक ऐसी ही मूर्तियां बार-बार पाई गई हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि ये किसी देवता की मूर्ति है।
उदाहरण के लिए: पशुपति की मुहर के बीच में एक आकृति और उसके चारों ओर जानवर हैं।
(v) पहचान–पत्र का उपयोगः तांबे की वर्गाकार या आयताकार पट्टियां (टैबलेट) पाई गई हैं, जिनमें एक ओर मानव की आकृति तथा दूसरी ओर कोई अभिलेख अथवा किसी पट्टी में दोनों ही ओर अभिलेख अंकित हैं। इन तांबे की वर्गाकार या आयताकार पट्टियों का उपयोग बाजूबंद की तरह भुजाओं पर किया जाता था। हजारों की संख्या में मुहरें (मुद्राएं) मिली हैं, जो आमतौर पर सेलखड़ी से बनाई गई थीं।
ऐसा प्रतीत होता है कि इन मुद्राओं को लोग बाजूबंद के तौर पर भी पहनते थे। इससे उन व्यक्तियों की पहचान की जा सकती थी, जैसा कि वर्तमान में लोग पहचान के लिए पहचान-पत्र का धारण करते हैं।
(vi) सामान्य घरेलू उपकरणः घरेलू काम-काज में प्रयोग किए जाने वाले मिट्टी के बर्तन अनेक रूपों तथा आकारों में पाए गए हैं।
उदाहरण के लिए: छिद्रित पात्रों में एक बड़ा छिद्र बर्तन के तल पर और छोटे छिद्र उनकी दीवार पर सर्वत्र पाए गए हैं। ऐसे बर्तन शायद पेय पदार्थों को छानने के काम में लाए जाते थे।
(vii) खाद्य भंडारण प्रणालीः सिंधु घाटी सभ्यता के अन्नागार और भंडारण सुविधाओं के अवशेषों से यह पता चलता है कि उनके पास खाद्य भंडारण एवं वितरण की एक परिष्कृत प्रणाली थी।
(viii) नियोजित शहरः सिंधु घाटी सभ्यता की सड़के चौड़ी थी। इसमें सार्वजनिक स्थलों और पक्की ईंटों से बनी इमारतों द्वारा पूर्णतया विकसित शहरी नियोजन प्रणाली का अवलोकन किया जाता है। इस प्रणाली से हमें उनके नियोजित शहरों की एक झलक मिलती है।
(ix) मनोरंजक गतिविधियां: मिट्टी की बनी पहिएदार गाड़ियां, छकड़े (Whistles), सीटियां, पशु-पक्षियों की आकृतियां, खेलने के पासे, गिट्टियां, चक्रिका (Discs) भी मिली हैं।
उदाहरण के लिए- नर्तकी की कांस्य की मूर्ति उनके सांस्कृतिक जीवन को प्रतिबिंबित करती है।
(x) आर्थिक जीवनः मृदभांड बनाने, धातु संबंधी कार्य करने, आभूषण बनाने, बुनाई आदि की कला लोगों के आर्थिक जीवन, उनके कौशल और उनकी क्षमताओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है। साथ ही, यह भी जानकारी प्रदान करती है कि लोग अपने काम में किन उपकरणों एवं तकनीकों का इस्तेमाल करते थे।
(xi) स्वच्छता और अभियांत्रिकी कौशल की भावनाः सिंधु घाटी सभ्यता में विस्तृत जल निकासी और सीवेज प्रणाली की व्यवस्था थी। यह व्यवस्था दर्शाती है कि स्वच्छता की भावना के साथ-साथ तकनीकी और अभियांत्रिकी कौशल को भी अपनाया गया था।
निष्कर्ष:
सिंधु घाटी सभ्यता की कला एवं वास्तुकला यहाँ रहने वाले लोगों के दैनिक जीवन के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान करती है, जो उनकी उन्नत शहरी नियोजन, सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं एवं सांस्कृतिक प्रथाओं को दर्शाती है। उनके शिल्प कौशल, सार्वजनिक स्थानों एवं कार्यात्मक डिजाइनों के माध्यम से, हम जीवन, सामाजिक संगठन और तकनीकी विशेषज्ञता के प्रति उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण को समझते हैं।