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प्रश्न: आरम्भिक भारतीय ऐतिहासिक परम्परा, जैसी कि वह इतिहास-पुराण से प्रतिबिम्बित है, किस प्रकार प्रकट हुई थी? इस शैली के विशिष्ट अभिलक्षण क्या हैं?

How did the early Indian historical tradition, as reflected in Itihasa-Purana, emerge? What are the distinctive features of this genre? [UPSC CSE 2018]

उत्तर: प्रारंभिक भारतीय ऐतिहासिक परंपरा मुख्य रूप से इतिहास और पुराणों के रूप में प्रकट हुई। इन ग्रंथों में भारतीय समाज, संस्कृति, धर्म और राजनीति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। 

(i) प्राचीन भारत में इतिहास और पुराणों का उद्देश्य घटनाओं के साथ-साथ उन घटनाओं से प्राप्त नैतिक शिक्षा को समाज तक पहुँचाना था। ये ग्रंथ सामाजिक आदर्शों और धार्मिक मूल्यों को प्रकट करते थे, जो समाज को उच्च आचरण की प्रेरणा देते थे।

(ii) महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य भारतीय ऐतिहासिक परंपरा के प्रमुख उदाहरण हैं। इन ग्रंथों में घटनाएँ, पात्र और उनके कर्तव्य से जुड़ी नैतिक शिक्षाएँ प्रस्तुत की जाती हैं। ये न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।

(iii) इतिहास-पुराणों का एक विशिष्ट अभिलक्षण यह था कि इन ग्रंथों में घटनाओं का आदर्श रूप में चित्रण किया गया। वास्तविकता से अधिक, इन घटनाओं को रूपक और प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता था। यह विशेषता इन ग्रंथों को धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाती थी।

(iv) पुराणों में देवताओं और ऋषियों के कार्यों का विस्तृत वर्णन किया गया। ये कार्य समाज के लिए आदर्श थे और धार्मिक जीवन के पालन की प्रेरणा देते थे। इसके माध्यम से धर्म और संस्कृति का प्रचार होता था।

(v) इतिहास-पुराणों का एक और अभिलक्षण यह था कि इन ग्रंथों में घटनाएँ मात्र ऐतिहासिक संदर्भ में नहीं, बल्कि नैतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत की जाती थीं। यह समाज को आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देता था।

(vi) प्रारंभिक भारतीय ऐतिहासिक परंपरा में देवताओं, ऋषियों और नायकों के कार्यों का वर्णन अधिकतर काल्पनिक और रूपक रूप में किया जाता था। इन कथाओं के माध्यम से जीवन के गूढ़ अर्थों को समझने की कोशिश की जाती थी।

(vii) इन ग्रंथों में घटनाएँ अक्सर धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भ में ही प्रस्तुत की जाती थीं। इसका उद्देश्य समाज को धर्म, नीति और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना था। इतिहास-पुराणों में घटनाओं के माध्यम से समाज को उच्च आदर्श दिखाए जाते थे।

(viii) इन ग्रंथों में घटनाओं का यथार्थवादी चित्रण कम होता था। इनका उद्देश्य न केवल इतिहास की सटीकता प्रस्तुत करना था, बल्कि समाज के भीतर नैतिक और धार्मिक शिक्षा का भी प्रसार करना था।

निष्कर्षतः, प्रारंभिक भारतीय ऐतिहासिक परंपरा इतिहास-पुराणों के रूप में प्रकट हुई, जिनका मुख्य उद्देश्य केवल ऐतिहासिक घटनाओं का विवरण देना नहीं था, बल्कि समाज को धार्मिक, नैतिक और आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करना था।

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