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प्रश्न: प्राचीन भारतीय श्रुति साहित्य का ऐतिहासिक साक्ष्यों के रूप में किस सीमा तक उपयोग किया जा सकता है?

How far can the ancient Indian Sruti literature be used as historical sources? [UPSC CSE 2015]

उत्तर: प्राचीन भारतीय श्रुति साहित्य, जैसे- वेद, उपनिषद, भगवद गीता, आदि धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। हालांकि, इनका ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में उपयोग करते समय कुछ सीमाएँ हैं, क्योंकि यह साहित्य मुख्य रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से रचा गया है।

(i) श्रुति साहित्य का उद्देश्य मुख्यतः जीवन के गूढ़ रहस्यों, धर्म, योग और कर्म के सिद्धांतों को समझाना था। यह समाज की आध्यात्मिकता और नैतिकता का मार्गदर्शन करता है, न कि ऐतिहासिक घटनाओं के साक्ष्य देने का।

(ii) वेदों में कुछ ऐतिहासिक संदर्भ मिलते हैं, जैसे- विभिन्न जनजातियों के संघर्षों का वर्णन। उदाहरण के लिए, ऋग्वेद में दाशराज्ञ युद्ध का उल्लेख है, जो कुछ हद तक ऐतिहासिक साक्ष्य प्रदान करता है, लेकिन इसे धार्मिक और प्रतीकात्मक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

(iii) हालांकि, श्रुति साहित्य में वर्णित घटनाएँ काल्पनिक और प्रतीकात्मक होती हैं, लेकिन यह साहित्य प्राचीनकालीन समाज के विश्वासों और आदर्शों का परिचायक है। उदाहरण के लिए, महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथ ऐतिहासिक घटनाओं के बजाय धार्मिक कथाएँ हैं।

(iv) उपनिषदों में जीवन के उच्चतम सत्य और ब्रह्मा के दर्शन पर चर्चा की जाती है। ये दार्शनिक विचार समाज की आध्यात्मिक चेतना को उजागर करते हैं, लेकिन इन्हें ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता।

(v) श्रुति साहित्य के माध्यम से हम प्राचीन भारतीय समाज की सामाजिक संरचना, धार्मिक विश्वास और संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इसे प्रमाण के रूप में स्वीकार करना कठिन है।

(vi) वेदों में धार्मिक अनुष्ठानों, मंत्रों और यज्ञों का उल्लेख किया गया है, जो समाज की आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं को दर्शाते हैं। इनका उद्देश्य जीवन को नैतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से श्रेष्ठ बनाना था, न कि ऐतिहासिक घटनाओं को दर्ज करना।

(vii) प्राचीन भारत की राजनीति, युद्ध और शासकों के बारे में कुछ जानकारी वेदों और उपनिषदों में मिलती है, लेकिन इसे ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में स्वीकार करना गलत होगा। इनका उद्देश्य सांस्कृतिक और धार्मिक शिक्षा देना था।

(viii) आज के समय में, श्रुति साहित्य को ऐतिहासिक संदर्भ में समझने के लिए इसे पुरातात्त्विक और अन्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ने की आवश्यकता है। यह साहित्य धार्मिक विचारों और दार्शनिक सिद्धांतों का एक गहन अध्ययन प्रस्तुत करता है।

निष्कर्षतः, श्रुति साहित्य का ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में उपयोग सीमित है। यह साहित्य मुख्यतः धार्मिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लेकिन ऐतिहासिक घटनाओं के साक्ष्य के रूप में इसे पूरी तरह से नहीं उपयोग किया जा सकता।

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