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प्रश्न: प्रायः यह तर्क दिया जाता है कि मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा प्रारंभ किए गए सुधार अंततः सोवियत संघ (USSR) के विघटन का कारण बने हैं। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? उचित तर्कों के साथ पुष्टि कीजिए। 

Que. It is often argued that the reforms initiated by Mikhail Gorbachev ultimately led to the disintegration of the USSR. Do you agree with this view? Justify with logical arguments. 

दृष्टिकोण:

(i) मिखाइल गोर्बाचेव के बारे में एक संक्षिप्त भूमिका प्रस्तुत कीजिए।

(ii) मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा किए गए सुधारों का उल्लेख कीजिए।

(iii) चर्चा कीजिए कि किस प्रकार उसके द्वारा किए गए सुधार USSR के विघटन का कारण बने। 

(iv) USSR के विघटन के लिए उत्तरदायी अन्य संभावित कारणों को वर्णित कीजिए।

(v) तदनुसार उचित निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

परिचय:

‘मिखाइल गोर्बाचेव’ 1985 से 1991 में सोवियत संघ (USSR) का विघटन होने तक इसके राष्ट्राध्यक्ष थे। उन्होंने ख्रुश्चेव (Khrushchev) के सत्ता से हटने के पश्चात सोवियत संघ को परिवर्तित और पुनर्जीवित करने हेतु कम्युनिस्ट पार्टी को आधुनिक बनाने एवं सुव्यवस्थित करने का निश्चय किया।

गोर्बाचेव द्वारा शुरू किए गए सुधारः

(i) पेरेस्त्रोइका (पुनर्गठन): पेरेस्त्रोइका, सोवियत संघ के आर्थिक और सामाजिक पुनर्गठन हेतु गोर्बाचेव द्वारा आरंभ किया गया एक कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम के माध्यम से सोवियत संघ की स्थिर, अकुशल और नियंत्रित अर्थव्यवस्था को एक लोकतांत्रिक बाजार-उन्मुख अर्थव्यवस्था में बदलने का प्रयास किया गया था। आर्थिक नियंत्रणों का विकेंद्रीकरण किया गया और पार्टी नेतृत्व की भागीदारी कम की गई। 

(ii) ग्लासनोस्त (खुलापन): ग्लासनोस्त का उद्देश्य राजनीतिक खुलापन और पारदर्शिता में वृद्धि करना था। इसके अंतर्गत अभिव्यक्ति की पर्याप्त स्वतंत्रता प्रदान करना, सेंसरशिप कानूनों को उदार बनाना और मीडिया को अधिक स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देना शामिल था। साथ ही, गोर्बाचेव ने अधिक धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की तथा सोवियत राजनीतिक व्यवस्था के लोकतंत्रीकरण पर विमर्श की शुरुआत की।

(iii) राजनीतिक सुधारः गोर्बाचेव ने पार्टी के भीतर अर्थात दलगत लोकतंत्रीकरण का आह्वान किया। स्थानीय सोवियतों के सदस्यों को अब नियुक्त करने के स्थान पर चुना जाना था। सुप्रीम सोवियत को कांग्रेस ऑफ पीपुल्स डेप्युटी से प्रतिस्थापित किया गया और कम्युनिस्ट पार्टी के लिए आरक्षित सीटों को समाप्त कर दिया गया।

कई विशेषज्ञों द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा शुरू किए गए सुधार अंततः सोवियत संघ के विघटन का कारण बने क्योंकिः 

(i) पेरेस्त्रोइका के माध्यम से अर्थव्यवस्था के पुनर्गठत के कारण अभाव, मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई। कई राज्य-स्वामित्व वाले उद्यम अधिक खुले बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। साथ ही, सरकार कीमतों को नियंत्रित करने और अर्थव्यवस्था को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष कर रही थी।

(ii) ग्लासनोस्त के तहत किए गए सुधारों द्वारा अधिक खुलापन और पारदर्शिता लाई गई थी हालांकि, इसने सोवियत गणराज्यों में राष्ट्रवादी आंदोलनों और अधिक स्वायत्तता की मांगों को भी जन्म दिया। इन आंदोलनों ने केंद्र सरकार के प्राधिकार को चुनौती दी, जिससे सोवियत संघ के भीतर अशांति और तनाव बढ़ गया।

(iii) गोर्बाचेव के अतिरिक्त सुधारों ने राजनीतिक दलों के निर्माण की अनुमति प्रदान की। इन सुधारों ने उसके स्वयं के जनाधार को कमजोर कर दिया क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी ने विशाल सोवियत संघ में राजनीतिक सत्ता पर अपना एकाधिकार खो दिया।

(iv) इसके अतिरिक्त, हार्ड-लाइन कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों और सैन्य नेतृत्वकर्ताओं ने गोर्बाचेव के सुधारों का विरोध किया। उनका मानना था कि इन सुधारों ने सोवियत संघ के समाजवादी सिद्धांतों के लिए खतरा उत्पन्न किया है। इस विरोध ने सोवियत संघ के भीतर अस्थिरता और विभाजन में योगदान दिया।

हालांकि, गोर्बाचेव द्वारा शुरू किए गए सुधारों के अतिरिक्त, अन्य कारक भी थे जिन्होंने USSR के विघटन में योगदान दिया, उदाहरण के लिए:

(i) आर्थिक समस्याएं: गोर्बाचेव के सत्ता में आने से पहले ही सोवियत अर्थव्यवस्था निवेश की कमी, अप्रचलित या पुरानी प्रौद्योगिकियों और केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था में विद्यमान अक्षमताओं की समस्याओं से ग्रसित थी।

(ii) राष्ट्रवाद और नृजातीय तनावः सोवियत संघ विभिन्न नृजातीय समूहों और राष्ट्रीयताओं वाला एक बहुराष्ट्रीय देश था। सोवियत शासन के तहत राष्ट्रवाद और नृजातीय तनावों को दवा दिया गया था। स्टालिन तथा अन्य सोवियत राष्ट्राध्यक्षों के शासनकाल से ही पोलैंड, यूक्रेन, बाल्टिक देशों आदि द्वारा विघटन के लिए कई विद्रोह किए जा रहे थे।

(iii) भ्रष्टाचार और नौकरशाहीः गोर्बाचेव द्वारा सत्ता प्राप्ति से बहुत समय पूर्व ही सोवियत संघ भ्रष्टाचार और नौकरशाही की प्रवृति से ग्रस्त हो चुका था। इससे आर्थिक विकास और नवाचार बाधित हो गया।

निष्कर्ष:

समग्र रूप से, USSR का विघटन आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक कारकों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की परस्पर जटिल अंतर्क्रिया का परिणाम था। यद्यपि गोर्बाचेव की नीतियों ने इन घटनाक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, किंतु ये नीतियां सोवियत संघ के पतन का एकमात्र कारण नहीं थी।

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