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प्रश्न: भारतीय चित्रकला की परंपरा में मुगलों के योगदानों का उल्लेख कीजिए।

Que. State the contributions of the Mughals to the Indian painting tradition.

दृष्टिकोण:

(i) मुगल चित्रकला का संक्षिप्त विवरण देते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।

(ii) भारतीय चित्रकला की परंपरा में मुगलों के योगदान की चर्चा कीजिए।

(iii) तदनुसार निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

परिचय:

सामान्यतः लघुचित्रों या पुस्तक चित्रण या एकल चित्रों के रूप में बनाई गई मुगल चित्रकला ने कई परवर्ती चित्रकला शैलियों व भारतीय चित्रकला शैलियों को प्रेरित किया और उसमें अपनी छाप छोड़ी। मुगल शासक विभिन्न कला शैलियों के संरक्षक थे।

औरंगजेब को छोड़कर, अधिकतर मुगल उत्तराधिकारियों ने अपनी रुचि और पसंद के आधार पर भारतीय चित्रकला परंपरा में निम्नलिखित तरीकों से योगदान दियाः

(i) पांडुलिपि चित्रणः मुगल बादशाह के शासन की घटनाओं का विवरण देने वाले इतिहासों में लिखित पाठ के साथ ही उन घटनाओं को चित्रों के माध्यम से दृश्य रूप में भी वर्णित किया जाता था। महत्वपूर्ण चित्रित मुगल इतिहास में सर्वाधिक ज्ञात अकबरनामा और बादशाहनामा हैं।

(ii) चित्रकारों को संरक्षणः मुगल बादशाहों ने अपने दरबार के चित्रों को बनवाने के लिए बहुत से प्रतिभाशाली चित्रकारों को संरक्षण प्रदान किया।

उदाहरण के लिए: बादशाह हुमायूँ दो फारसी चित्रकारों नामतः, मीर सैय्यद अली और अब्दुस समद को अपने साथ दिल्ली ले आए थे।

(iii) दैवीय प्रकाश: जहांगीर के शासन काल में मुगल चित्रकला पर पश्चिमी प्रभाव अधिक स्पष्ट हो गया था और चित्रों में बादशाहों के सिर के पीछे प्रभामंडल का प्रयोग प्रचलन में आ गया था।

(iv) नए प्रतीकों को अपनानाः कुछ विचारों के दृश्य रूप में निरूपण हेतु अनेक प्रतीकों की रचना की गई थी।

उदाहरण के लिए: एक-दूसरे के साथ लिपटकर शांतिपूर्वक बैठे हुए शेर और मेमने (या बकरी) का चित्र, न्याय के विचार के लिए सर्वाधिक पसंदीदा प्रतीक था।

(v) विविध विषय और विषयवस्तु (Diverse subjects and themes): अकबर के संरक्षण में मुगल चित्रकला में विभिन्न विषयवस्तुओं का अंकन हुआ था। इसमें राजनीतिक विजय, दरबार के मौलिक दृश्य, धर्मनिरपेक्ष ग्रंथ, महत्वपूर्ण व्यक्तियों की छवियों के साथ-साथ हिंदू पौराणिक, फारसी व इस्लामिक विषय शामिल थे।

जहांगीर के शासन काल में पौधों, जानवरों और पक्षियों के रूप में प्रकृति की सुंदरता एक महत्वपूर्ण विषय थी। जहांगीर ने सुलेख कला को बढ़ावा दिया और रूपचित्रकारी की भी शुरुआत की।

शाहजहां के शासन काल में चित्रकला को एक नया रूमानी रंग मिला। उनके समय में प्रेम, रूमानियत, रूपचित्रण और ‘दरबार’ के दृश्य सामान्य विषय बन गए। चित्रकारों ने लैला-मजनू, शिरीन फरहाद और बाज बहादुर-रूपमती की प्रणय कथाओं का चित्रण किया।

(vi) परिष्कृत तकनीकें (Sophisticated techniques): अकबर के शासन काल में मुगल चित्रकला में नई तकनीकों का प्रयोग किया गया।

उदाहरण के लिए: चित्रों में प्रकाश एवं छाया के उपयोग और वायुमंडलीय प्रभावों के उपयोग आदि को शुरू किया गया था।

जहांगीर के संरक्षण में मुगल चित्रकला शैली ने उच्चतम दर्जे की वास्तविकता और वैज्ञानिक शुद्धता हासिल की। अब चित्रकला में भव्य समृद्ध दरबार के दृश्यों के सूक्ष्म विवरण व परिष्कृत चित्रण, अभिजात्य शाही छवियां, चारित्रिक लक्षण व फूल-पौधे और जीव-जंतु का विशिष्ट अंकन होने लगा था।

(vii) विदेशी प्रभाव: मुगल चित्रकला शैली अपने चरम पर इस्लामिक, भारतीय एवं यूरोपियन दृश्य संस्कृति और सौंदर्य के अति परिष्कृत मिश्रित रूप को प्रस्तुत करती है। मिश्रित शैली वाले चित्रों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उस काल में निर्मित कलाकृतियों का खजाना काफी समृद्ध था। यह खजाना पहले से चली आ रही उस काल की पारंपरिक एवं भारतीय और ईरानी शैली से काफी अधिक विकसित था।

इसके अतिरिक्त, मुगल काल में कला अधिक औपचारिक हो गई थी, क्योंकि उस समय कला के लिए कार्यशालाएं स्थापित हो गई थीं। कार्यशाला में ईरान से बुलाए गए अनेक चित्रकार भी शामिल होते थे, जिसके परिणामस्वरूप भारत व ईरानी शैलियों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण हुआ।

उदाहरण के लिए: हुमायूँ ने ‘निगार खाना’ (चित्रों की कार्यशाला) की स्थापना की थी।

निष्कर्ष:

1739 ई. में नादिरशाह के आक्रमण और दिल्ली से चित्रकारों के देश के अन्य हिस्सों में पलायन के साथ मुगल चित्रकला धीरे-धीरे गुमनामी में चली गई। फिर भी, चित्रकला की मुगल शैली को भारतीय चित्रकला इतिहास में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जाता है।

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