प्रश्न: हाल के केंद्रीय बजट 2024-25 के हिस्से के रूप में घोषित ‘जलवायु वित्त वर्गीकरण’ का क्या अर्थ है? भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं और हरित संक्रमण को प्राप्त करने में इसकी भूमिका पर भी चर्चा कीजिए।
What is meant by ‘Climate finance taxonomy’ announced as part of the recent Union Budget 2024-25? Also discuss its role in achieving India’s climate commitments and green transition.
उत्तर: ‘जलवायु वित्त वर्गीकरण’ (Climate Finance Classification) भारत सरकार की 2024-25 के बजट की एक नई पहल है। यह प्रणाली जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और हरित परियोजनाओं के लिए वित्तीय संसाधनों के आवंटन को सुनिश्चित करती है। इसका उद्देश्य भारत की हरित अर्थव्यवस्था और जलवायु लक्ष्यों को साकार करना है।
जलवायु वित्त वर्गीकरण का अर्थ
(1) पर्यावरणीय परियोजनाओं को प्राथमिकता देना: यह पहल जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, अक्षय ऊर्जा, टिकाऊ कृषि, और पर्यावरण संरक्षण जैसी परियोजनाओं के लिए वित्तीय समर्थन सुनिश्चित करती है। यह वित्तीय संसाधनों के सुव्यवस्थित उपयोग के माध्यम से सतत विकास को प्राथमिकता देती है।
(2) कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना: वर्गीकरण का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और हरित ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देना है। यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करता है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करता है।
(3) पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना: यह पहल वित्तीय संसाधनों के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का कार्य करती है। इसके तहत जलवायु परिवर्तन से संबंधित परियोजनाओं की प्रगति को नियमित रूप से आंका जाता है।
(4) हरित आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना: यह वर्गीकरण हरित अर्थव्यवस्था के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह रोजगार सृजन, औद्योगिक विकास, और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहित करता है।
(5) वैश्विक जलवायु लक्ष्यों का समर्थन करना: यह पहल भारत की अंतरराष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं, जैसे कि पेरिस समझौते, को प्रभावी ढंग से पूरा करने में मदद करती है। यह वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में योगदान देती है।
भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं में भूमिका
(1) अक्षय ऊर्जा उत्पादन में सहयोग: यह पहल भारत के अक्षय ऊर्जा उत्पादन लक्ष्यों को साकार करने में मदद करती है। यह सौर, पवन, और जैव ऊर्जा परियोजनाओं में वित्तीय निवेश को प्रोत्साहित करती है।
(2) राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) का समर्थन: यह वर्गीकरण भारत के NDC लक्ष्यों, जैसे कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी और वन क्षेत्र विस्तार, को प्राप्त करने में सहायक है।
(3) ऊर्जा संक्रमण को सशक्त बनाना: यह पहल जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर भारत के ऊर्जा संक्रमण को मजबूती प्रदान करती है। यह हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्राथमिकता देती है।
(4) पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ प्रथाओं को प्रोत्साहन: यह वर्गीकरण टिकाऊ कृषि, जल प्रबंधन, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
(5) शहरी विकास में हरित बुनियादी ढाँचा: यह पहल शहरी क्षेत्रों में ऊर्जा-कुशल भवनों, स्वच्छ परिवहन प्रणालियों और हरित बुनियादी ढाँचे के निर्माण में मदद करती है।
हरित संक्रमण में भूमिका
(1) नवीकरणीय ऊर्जा के विकास को प्रोत्साहन: यह वर्गीकरण अक्षय ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा, में वित्तीय निवेश को बढ़ावा देता है। यह हरित ऊर्जा उत्पादन को सशक्त करता है।
(2) इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देना: यह पहल इलेक्ट्रिक वाहनों और प्रदूषण मुक्त परिवहन प्रणालियों के विकास को प्रोत्साहित करती है। यह शहरी प्रदूषण को कम करने का एक प्रमुख साधन है।
(3) पर्यावरणीय अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना: यह पहल हरित प्रौद्योगिकियों और अनुसंधान के लिए वित्तीय सहयोग प्रदान करती है। यह पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों के विकास में सहायक है।
(4) कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहन देना: यह वर्गीकरण कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। यह अपशिष्ट न्यूनीकरण को बढ़ावा देता है।
(5) कृषि में हरित प्रथाओं का समर्थन करना: यह पहल टिकाऊ कृषि, जैविक खेती, और जलवायु-अनुकूल प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है। यह कृषि उत्पादकता और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों को बढ़ाती है।
‘जलवायु वित्त वर्गीकरण’ भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं और हरित संक्रमण को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह कार्बन उत्सर्जन में कमी और सतत विकास के लिए वित्तीय संसाधनों को सुनिश्चित करता है। सरकार और समाज को इस पहल को प्रभावी बनाने हेतु समन्वय स्थापित करना चाहिए।