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प्रश्न: द्वितीय विश्व युद्ध ने वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए एक ऐसे उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया जिसने संघर्ष के परिणाम को आकार दिया और युद्ध के पश्चात् होने वाले विकास पर स्थायी प्रभाव डाला। दिए गए कथन का मूल्यांकन कीजिए।  

Que. World War II acted as a catalyst for scientific and technological advancements that shaped the outcome of the conflict and had a lasting impact on post-war developments. Evaluate the statement.  

दृष्टिकोण:

(i) द्वितीय विश्व युद्ध का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए, युद्ध के दौरान हुई विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति पर चर्चा कीजिए।

(ii) स्पष्ट कीजिए कि कैसे इन प्रगतियों ने युद्ध के परिणाम को आकार दिया और युद्ध के पश्चात के विकास पर स्थायी प्रभाव डाला।

(iii) तदनुसार निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

परिचय:

द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चलने वाला एक वैश्विक संघर्ष था। यह अवधि अत्यंत महत्वपूर्ण थी, इसी दौरान विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा मिला जिससे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगतियां हुईं। इन प्रगतियों ने युद्ध के परिणाम और युद्ध के पश्चात होने वाले वैश्विक विकास पर अत्यधिक प्रभाव डाला।

वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति में निम्नलिखित शामिल हैं:

(i) सैन्य प्रौद्योगिकी में प्रगतिः इस युद्ध के कारण राष्ट्र अनुसंधान एवं विकास में अत्यधिक निवेश करने के लिए प्रेरित हुए। इससे सैन्य प्रौद्योगिकियों जैसे कि- रडार प्रौद्योगिकी, लंबी दूरी के बमवर्षक विमान, उन्नत नौसैनिक जहाजों और टैंकों के विकास में सफलता प्राप्त हुई। रडार प्रौद्योगिकी ने युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस प्रौद्योगिकी ने मित्र राष्ट्रों को किसी अन्य प्रौद्योगिकी की तुलना में युद्ध जीतने में अधिक मदद की थी। युद्ध के पश्चात की अवधि में, रडार प्रौद्योगिकी के कारण माइक्रोवेव का विकास हुआ तथा मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों में भी इसके अनुप्रयोग का पता लगाया गया।

(ii) परमाणु या नाभिकीय प्रौद्योगिकीः यह संभवतः द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई तकनीकी प्रगति का सबसे प्रमुख उदाहरण है। मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत पहले परमाणु बम का निर्माण किया गया था। यह प्रोजेक्ट युद्ध-काल की तात्कालिक आवश्यकता की प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया थी। इन हथियारों के सफल परीक्षण एवं युद्ध में इनके प्रयोग ने द्वितीय विश्व युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया। इसके परिणामस्वरूप युद्ध तत्काल समाप्त हो गया। युद्ध के पश्चात विश्व में परमाणु युग का आरंभ हुआ, जिसका वैश्विक सुरक्षा और भू-राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा। नौसैनिक जहाजों के संचालन और विश्वसनीय परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के प्रौद्योगिकीय विकास हेतु नियंत्रित तरीके से नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग पर भी ध्यान दिया गया।

(iii) कोड-ब्रेकिंग और क्रिप्टोग्राफी: मित्र देश और धुरी राष्ट्र, दोनों ही अपने संचार को सुरक्षित रखने के लिए क्रिप्टोग्राफी पर अत्यधिक निर्भर थे। मित्र राष्ट्रों के कोडब्रेकर्स के सफल प्रयासों ने, विशेष रूप से यू.के. (UK) के बैलेचले पार्क में, इंटरसेप्ट किए गए धुरी राष्ट्रों के संदेशों को डीकोड करने में मदद की। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह से युद्ध की अवधि दो वर्ष तक कम हो गई थी। एलन ट्यूरिंग, बैलेचले पार्क में कोड ब्रेक करने वाले लोगों में से एक थे। उन्हें कृत्रिम बुद्धिमत्ता और आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान का जनक माना जाता है।

(iv) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में प्रगतिः युद्ध ने चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा संबंधी प्रौद्योगिकियों में प्रगति को प्रेरित किया। चिकित्सा संबंधी नवाचारों; जैसे- रक्त आधान (Blood Transfusions), पेनिसिलिन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं का बड़े पैमाने पर विकास और शल्यचिकित्सा संबंधी तकनीकों में प्रगति ने युद्ध के दौरान और उसके बाद अनगिनत लोगों की जान बचाई। इन प्रगतियों ने स्वास्थ्य सेवा में क्रांति ला दी तथा युद्ध के पश्चात की अवधि में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव डाला। द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर आज तक, पेनिसिलिन जीवाणु संबंधी संक्रमण को समाप्त करने हेतु प्रयोग की जाने वाली उपचार की एक महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक दवा बनी हुई है।

(v) अंतरिक्ष अन्वेषणः नाज़ी जर्मनी द्वारा विकसित किया गया V-2 रॉकेट अपने समय के सबसे उन्नत रॉकेटों में से एक था। ऐसा अनुमान है कि इस मिसाइल से कई हजार लोगों की जान गई थी तथा बहुत से लोगों की जान V-2 के निर्माण के दौरान भी गई थी। यह आधुनिक रॉकेट का अग्रदूत बन गया तथा इसने अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों के लिए एक आधार का निर्माण किया।

(vi) विमानन और वैमानिकीः युद्ध के कारण विमानन प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय प्रगति हुई। उदाहरण के लिए: युद्ध काल के दौरान जेट इंजनों का विकास अपने प्रारंभिक चरण में था। यद्यपि तात्कालिक रूप से इनका युद्ध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, किंतु युद्ध के दौरान किए गए शोध ने युद्ध के पश्चात विमानन उद्योग और वाणिज्यिक जेटलाइनर्स के विकास हेतु आधार का निर्माण किया।

निष्कर्ष:

युद्ध के दौरान अनुसंधान एवं विकास पर दिए गए जोर के परिणामस्वरूप युद्ध के पश्चात आने वाले दशकों में अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और उद्योगों के विकास हेतु आधार तैयार हुआ। युद्ध के प्रयासों की तात्कालिक आवश्यकताओं ने तीव्र नवाचार को बढ़ावा दिया, जिसकी वजह से ऐसी सफलताएं प्राप्त हुई जिन्होंने न केवल युद्ध की दिशा को प्रभावित किया बल्कि युद्ध पश्चात के युग में विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति के लिए आधार भी तैयार किया।

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